बंटवारा
डॉ.लाल रत्नाकर
आजकल उत्तर प्रदेश
बांटने की बात चल रही है
वैसे तो ये मांग पहले से ही
चल रही है।
कि ‘हरित प्रदेश’ चाहिए
किसी को बुंदेलखंड
तो किसी को
पूर्वाचल और अवध चाहिए
भी किसी ने माँगा होगा
पर ये भूल कैसे हो गयी
कि दो प्रदेश और चाहिए
पहला-बादलपुर
और दूसरा-सैफई
आईये जरा देखें इनकी
भौगोलिक
आर्थिक
और
सामाजिक
विरासत इन सबकी
जबकि ‘बहन जी‘
ने बादलपुर को
और नेता जी ने
सैफई को
एक प्रदेश कि तर्ज पर
विकसित करना आरम्भ
कर दिया है
फिर बाकी को बाद में
बाटने में रूचि ले रही हैं
शायद अब लगता है कि
कहीं उनकी कुर्सी चली गयी
तो क्या होगा उनकी मूर्तियों का
पर यहाँ तो ऐसा लगता है कि
जैसे एक दरिद्र और कुल्टा स्त्री
एकाएक मालदार और कमाऊ पुरुष की
रखैल बन जाये और
अपनी इक्च्छा को पूरा करने के लिए
इस जिद पर डट जाये की
अब बटवारा हो ही जाये और
उस कमजोर पति की बीबी
और उस मर्द के सड़े गले या
मरे गिरे परिवारजनों
को वह क्यों चलाये
बुंदेलखंड कि बदहाली
पूरब के पुरविये चुनाव के
समय नखरे करते हैं
उनसे वादे करने पड़ते हैं
विकास के
आजकल खादर के
रूखे बादल की राजकुमारी
जिसे कभी न मिला हो
पीने के लिए शुद्ध पानी
जो बौरा गयी हो
देखकर सत्ता कि जवानी
उसी को बाँट रही है
जिसे दीमक की तरह
चाट रही है
इन्हे कौन समझाए
की ज्यादा चाटना
पेट खराब कर देता है
वैसे भी नोनछा जहाँ भी लगता है
उसे चाट जाता है
क्या डर लग रहा है
बड़ा प्रदेश कहीं इनकी
बड़ी बड़ी मूर्तियों पर
नोनछे की तरह न लग जाये.
क्या इनको अब डर लगता
कि उनकी मूर्तियाँ क्यों नहीं
लगीं जिन्होंने
पोलिस कि भर्तियों में
खूब जमकर पैसे लिए थे
या नॉएडा कि जमीनें बेंचकर
खूब दौलत बनाये थे
या निठारी में अबोध बच्चों को
भूनकर खाए थे ?
पर उसमें से किसी को
जेल जाना पड़ रहा है
या किसी को फिर से सत्ता में
न आने को भूत सता रहा है
या अब इस प्रदेश का
सारा संसाधन लूट चुका है
अब इसे टुकडे टुकडे कर
भूखों नंगों को बाँट दो
ओ बहन भले ही
तुम्हारी औलाद नहीं है
तो क्या ?
तुम लाखों औलादों के सपने
बांटने की सौगंध ली हो
मेरा कहना है मत बांटों
इस प्रदेश को
पूर्वियों के खूं से सींचे
बुंदेलों के मजबूत दिलों की
धड़कन को मत बांटों
और प्रदेश की एकता और
एकजुटता को अपने प्रेमियों की
आग में मत सेंको ! ये भूखे
प्रापर्टी डीलर इसे बेचना चाहते हैं
दौलत बनाने के लिए
पूरे प्रदेश को प्रापर्टी डीलरों की
कीमत पर अनेक सेक्टरों में
मत बाँटो ये बट गया तो
ये पार्को की जगह नहीं
छोड़ेंगे जहां और मूर्तियां
लग सकेंगी
हांडियों के भरे हुए दानों को
अपनी दौलत मत समझो
ये मजबूत प्रदेश है
इसे उस कहावत की तरह
‘गगरी में दाना, शूद्र उताना’
की कहावत को चरितार्थ मत करो
अपने फरमानों से
मजबूत प्रदेश को
टुकडे टुकडे मत करो.
रखैल नहीं पतिव्रता
विनम्र मालकिन की तरह
पूरी सल्तनत की रक्षा करो
बहन अपने गुमान को कम करो
और सबक लो ‘सुखराम’ से
‘राजा’ और ‘कनीमुयी’ से
कहीं न कहीं किसी न किसी को
कभी न कभी समझ तो आ जायेगा
और इन पूजीपतियों के चक्कर में
दलित हाथ से निकल जाएगा
और बटवारा अटक जायेगा .
बांटने की बात चल रही है
वैसे तो ये मांग पहले से ही
चल रही है।
कि ‘हरित प्रदेश’ चाहिए
किसी को बुंदेलखंड
तो किसी को
पूर्वाचल और अवध चाहिए
भी किसी ने माँगा होगा
पर ये भूल कैसे हो गयी
कि दो प्रदेश और चाहिए
पहला-बादलपुर
और दूसरा-सैफई
आईये जरा देखें इनकी
भौगोलिक
आर्थिक
और
सामाजिक
विरासत इन सबकी
जबकि ‘बहन जी‘
ने बादलपुर को
और नेता जी ने
सैफई को
एक प्रदेश कि तर्ज पर
विकसित करना आरम्भ
कर दिया है
फिर बाकी को बाद में
बाटने में रूचि ले रही हैं
शायद अब लगता है कि
कहीं उनकी कुर्सी चली गयी
तो क्या होगा उनकी मूर्तियों का
पर यहाँ तो ऐसा लगता है कि
जैसे एक दरिद्र और कुल्टा स्त्री
एकाएक मालदार और कमाऊ पुरुष की
रखैल बन जाये और
अपनी इक्च्छा को पूरा करने के लिए
इस जिद पर डट जाये की
अब बटवारा हो ही जाये और
उस कमजोर पति की बीबी
और उस मर्द के सड़े गले या
मरे गिरे परिवारजनों
को वह क्यों चलाये
बुंदेलखंड कि बदहाली
पूरब के पुरविये चुनाव के
समय नखरे करते हैं
उनसे वादे करने पड़ते हैं
विकास के
आजकल खादर के
रूखे बादल की राजकुमारी
जिसे कभी न मिला हो
पीने के लिए शुद्ध पानी
जो बौरा गयी हो
देखकर सत्ता कि जवानी
उसी को बाँट रही है
जिसे दीमक की तरह
चाट रही है
इन्हे कौन समझाए
की ज्यादा चाटना
पेट खराब कर देता है
वैसे भी नोनछा जहाँ भी लगता है
उसे चाट जाता है
क्या डर लग रहा है
बड़ा प्रदेश कहीं इनकी
बड़ी बड़ी मूर्तियों पर
नोनछे की तरह न लग जाये.
क्या इनको अब डर लगता
कि उनकी मूर्तियाँ क्यों नहीं
लगीं जिन्होंने
पोलिस कि भर्तियों में
खूब जमकर पैसे लिए थे
या नॉएडा कि जमीनें बेंचकर
खूब दौलत बनाये थे
या निठारी में अबोध बच्चों को
भूनकर खाए थे ?
पर उसमें से किसी को
जेल जाना पड़ रहा है
या किसी को फिर से सत्ता में
न आने को भूत सता रहा है
या अब इस प्रदेश का
सारा संसाधन लूट चुका है
अब इसे टुकडे टुकडे कर
भूखों नंगों को बाँट दो
ओ बहन भले ही
तुम्हारी औलाद नहीं है
तो क्या ?
तुम लाखों औलादों के सपने
बांटने की सौगंध ली हो
मेरा कहना है मत बांटों
इस प्रदेश को
पूर्वियों के खूं से सींचे
बुंदेलों के मजबूत दिलों की
धड़कन को मत बांटों
और प्रदेश की एकता और
एकजुटता को अपने प्रेमियों की
आग में मत सेंको ! ये भूखे
प्रापर्टी डीलर इसे बेचना चाहते हैं
दौलत बनाने के लिए
पूरे प्रदेश को प्रापर्टी डीलरों की
कीमत पर अनेक सेक्टरों में
मत बाँटो ये बट गया तो
ये पार्को की जगह नहीं
छोड़ेंगे जहां और मूर्तियां
लग सकेंगी
हांडियों के भरे हुए दानों को
अपनी दौलत मत समझो
ये मजबूत प्रदेश है
इसे उस कहावत की तरह
‘गगरी में दाना, शूद्र उताना’
की कहावत को चरितार्थ मत करो
अपने फरमानों से
मजबूत प्रदेश को
टुकडे टुकडे मत करो.
रखैल नहीं पतिव्रता
विनम्र मालकिन की तरह
पूरी सल्तनत की रक्षा करो
बहन अपने गुमान को कम करो
और सबक लो ‘सुखराम’ से
‘राजा’ और ‘कनीमुयी’ से
कहीं न कहीं किसी न किसी को
कभी न कभी समझ तो आ जायेगा
और इन पूजीपतियों के चक्कर में
दलित हाथ से निकल जाएगा
और बटवारा अटक जायेगा .
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