गुरुवार, 19 जुलाई 2012

कामवाली हो !


जिस दुनिया में तुम रहती हो
वह दुनिया कितनी बौनी है
जहाँ सारी हेरा फेरी का
ताना बाना बुनता हो
अपनों अपनों का भेदभाव हो
केवल और केवल
अपना ही करती हो
तुम उस दुनिया की महारानी, राजकुमारी हो
जिसकी भी हो, जैसी भी हो
कहने को तुम घरवाली हो
पर घर केवल घर है उसकी
रखवाली में या घर की चार दिवारी में
तुम 'घरवाली' हो
सफाई वाली की नज़र में उससे निक्कम्मी हो
कमजोर हो, अस्वस्थ  हो, बदसूरत हो,
अपने को मालकिन समझती हो
पर मालकिन होकर भी
तुम कुछ नहीं हो वह समझती है
क्योंकि वगैर उसके ये घर घर नहीं है
और यदि ऐसा नहीं है तो तुम
मालकिन कैसी केवल और केवल
कामवाली हो !

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