शनिवार, 2 नवंबर 2013

उम्मीद किससे

उम्मीद किससे करें 
डॉ.लाल रत्नाकर 

जिन्हें परख लिया है या जिन्हें परखा नहीं है 
जिनपर उम्मीद किया इतनी ना उम्मिदियाँ दी हैं 

नहीं यहाँ आप भूल कर रहे है आपको इनसे उम्मीद नहीं थी 
ये आपकी वजह से नहीं 'वहां' बैठे हैं इन्हें तो बैठाया गया है 

क्या कह रहे हैं आप जी मैं वही कह रहा हूँ जो पहले कहा था 
अफसोस है हमारे लोगों ने इन्हें नहीं चुना पर क्या वो इनके मारे नहीं है 

महगाई भ्रष्टाचार जातिवाद, देशद्रोह सी बी आई , सर्वोच्च न्यायालय 
कोई नहीं है इनके , ऐसा ये कहते हैं , पर होता सब वही है जो ये चाहते है 

ये सब इनकी मजबूरी है, उद्योग्पत्तियों को मंत्री बनाना इनकी मज़बूरी है 
विदेशों में धन जमा कराना जरूरी है, नहीं तो क्या इन "कुत्तों" से कटवाना है 

ये हमारे आपके नहीं बेचारी अनाथ "महारानी" के ये चाकर हैं 
इन्हें क्या तुम मरो भूख से आतंक से महामारी से इन सबके लिए सरकार नहीं है .

सरकार अपना काम कर रही है कैसे कर रही है क्या आपकी राय से करेगी 
यदि आपने कुछ भी कहा तो ठीक नहीं सी.बी.आई. है आई बी है और सत्ता तो है ही 

साथियों एक उग्र नेता आये हैं उन सब से अलग अब तक जो होता आया है 
आइये इनका स्वागत किया जाय ! क्योंकि इनके अपने छुपे हुए अजंडे हैं 

वैसे तो इनपर इनके दल के ही लोगों का भरोसा कम है पर इनमे उर्जा है 
जल्दी में हैं कईयों पर डोरे डाल रहे हैं की हम वो नहीं हैं जो तुम समझ रहे हो 

मैं उनका भी हितैषी हूँ जिनके आरोप हम पे लगे हैं कत्लेआम कराने के 
उनके भी जिनकी दुश्मन हमारी पार्टी और उसकी नीतियाँ हैं हम हितैषी हैं 

मुझे मौक़ा दे दो मैं तुम्हे मौक़ा दूंगा 'बचन' देता हूँ मेरे सर पर हाथ रख दो 
मैं तुम्हार सर न तो कटने दूंगा और न झुकने दूंगा शर्म से हया से क्योंकि 

साधू संतों की फौज भी हमारे साथ है  !


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