बुधवार, 6 नवंबर 2013

सोहबत .

जरूर समझना 
डॉ . लाल रत्नाकर 


उसके कहने का मतलब समझना
उसकी फितरत का  असर न होना
लाज़िमी था क्या उन सब पर होना
सझना जरुर पर रुसवा मत होना !

उसकी अदाकारी में जो बात है भारी
समझना उसको है तुम्हारी जिम्मेवारी
कहेगा और मुस्कुराएगा बारी बारी
पता चलेगा उसे कब उसकी जिम्मेवारी

मुगालते पालने कि एक उसकी सोहबत
तम्माम हिजड़ों जैसी खौफनाक हिम्मत
वक़्त का असली सिला है उसकी इज्जत
करते जाओ उसपर ये तुम्हारी फितरत

अजूबे देखने का अगर मौक़ा न मिले तो
आना कभी उसके असल करतब तक तो
हमारी याद या मेरी हिदायत जरूर रखना
सच को छुपाने कि उसकी फितरत तकना

इन्ही के कारनामें तो हमें जलील करें
नहीं तो उनकी क्या जो मुझसे यूँ अपील करें
आज उनकी भी अकल पर तरस आया
जिनको कभी इज्जत और जीवन भी दिया .

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