सोहबत *
सब कुछ लुटा दिया वो अपना बना लिया है।
सोहबत का असर है या सोहरत का असर है।
सोहबत का असर है या सोहरत का असर है।
महरबानियों से उसके जो राख हो रहा है।
सब व्यापारियों की ही कारस्तानियां तो हैं।
सब व्यापारियों की ही कारस्तानियां तो हैं।
नफरत की आग में वो सबकुछ जला रहां है
आदमी की गैरत को वो पलीता लगा रहां हैं
आदमी की गैरत को वो पलीता लगा रहां हैं
कहते हैं फ़क़ीर है जरा लिबास तो देखिये।
किसके करोड़ों को वो दिखावे में उड़ा रहा है।
सारा मुल्क बेच देगा वो तो चिल्ला रहा है।
गुजराती हूँ व्यापारी हूँ देखो यहाँ खड़ा हूँ।।
वो *
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