मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

चमन को रौंदने की फ़ौज

धुंध भी है रोशनी भी
तनहाई और जमहाई भी

चमन को रौंदने वालों की
बारात मेरे घर भी आयी है

दुश्मनी किससे करें उससे 
जिसने दोस्त दोस्ती निभाई है

बातें बहुत हैं कितनी करूं 
किसकी करूं किसकी न करूं

आप से उनसे उनकी या अपनी
अपनों की करूं या अपनी करूं 

मेरे दोस्तों उनका भला करना
जिसने जी भर मेरा बुरा किया ।


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