बुधवार, 4 मार्च 2015

होली

होली होली होली अबके बरस भी हो ली
रंग ढंग सब अलंग क़रीने व्यापक वैभव !

नई नवेली कौतुक कुल का राग रंग सब
पी ली नी ली ला ल सभी तो वह पी ली

हो ली होली का सर्ीनगार सबै ने कर
चहुँओर कुरुक्षेत्र की भाव भंगिमा ले ली

आओ सखि सब बैठें ठांव छांव के डट के
पीड़ा वीडा से सहके बह रस राग वक़्त के

होली होली हो ली दिन रात रति के मन की
कहते कहते कहते उम्र अधिक जब हो ली !

-डा.लाल रत्नाकर

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