किसकी बात करें
उनकी उन सबकी या
अपनों की ।
उनकी उन सबकी या
अपनों की ।
राजनीति की
नियति राज की या
लूटपाट की खुली छूट की
नियति राज की या
लूटपाट की खुली छूट की
सामंती प्रवृत्ति हो गई
या देशी उल्लू हुआ विदेशी
देश हमारा ग़ज़ब हो गया
घर घर में अब अजब हो गया
जाति पाँति का भरम हो गया
लूटपाट जब धरम हो गया ।
बनिया ही शासक हो गया,
कैसे राज चले !
या देशी उल्लू हुआ विदेशी
देश हमारा ग़ज़ब हो गया
घर घर में अब अजब हो गया
जाति पाँति का भरम हो गया
लूटपाट जब धरम हो गया ।
बनिया ही शासक हो गया,
कैसे राज चले !
टेनी, कपटी औ चोरी का
शातिर, माहिर है जो वो !
बातूनी है चालाकी का पंडित
शहरी है अगरहरी है संघी है
जनसंघी है ।
लूटखसोट व्यापार आदि का
जनक पुरोधा धर्मादा का मालिक भी
खेती बाड़ी मेहनत का
वो दुश्मन बहुत पुराना है।
सूद व्याज का माहिर है
नक़ली असली के घाल मेल का
धंधा है, अंधा है, पर मानवता का
दुश्मन है वो जग में ज़हर भरे !
सेवा का मेवा खाता वो
उलट फेर का नाटक रचकर
ऊँची बात करे ।
उलट फेर का नाटक रचकर
ऊँची बात करे ।
नये समय का सामंत हो गया
भामाशाह अब कहाँ रह गया
जो नैतिकता की बात करे ।
शिक्षा दीक्षा की दुकान अब
यह भी हड़प लिया !
जब से सत्ता में आया है
केवल व्यापार की बात करे
कौन बताये इसको आख़िर
ये कर्म भूमि है दलितों की
पिछड़ों की अब जाग गए हैं
तेरे बहकाने से बहक गए थे
वो जो तेरे साथ आ गए तो
तू उनसे ठगी करे !
यहाँ सिकन्दर योगेन्द्र से
तू ऐसी चाल करे ।
लालू वालू पा जाएँ तो
जीवन भर राज करें !
तू भोला है
बनिया है
बेहद बातूनी है
जन्म आदि के दुष्कर्मों का
असर पड़ा है तुमपर भारी
कहाँ फँसा है देखो तेरे पास
खड़ा है कौन सामंती !
किनकों छोड़ रहा है
जिनको जोड़ रहा है
तू अंधा है अब तक का
जितना तेरा धंधा है,
सब ले जाएँगे,
तेरे नाकाबिल साथी------------।
-डॉ लाल रत्नाकर
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