मंगलवार, 12 मई 2015

रसूख़

इंसान जहाँ का रसूख रखता हो क़ीमत लेकर 
जो भी बड़ा हुआ है आज वो कल को बेचकर 

जो भी बड़ा था कल तक वो जाने कहाँ गया
आई है नई फ़ौज क़ीमत व नज़राने के सहारे

शिक्षा की दुकानें हैं यहाँ जो चाहो ख़रीद लो
विद्या के नाम पर मशीन सा इन्सान बनाओ ।

दुनिया के किसी काम का एक इंसान बनाओ 
ज्ञान व अज्ञान के उपाधि की दुकान चलाओ

ये शोहरत का इन्स्टीट्यूट है फीस बड़ी भारी 
डिग्री वहाँ की देती है मज़दूरी बडी भारी भारी।


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