सोमवार, 2 नवंबर 2015

जो इन्हें मानते है, ये उनका कोई भला नहीं करते

देवी देवताओं की दुर्दान्तता की ड्योढियां लाँघना
हमको कभी भले न रास आया हो पर उन सबको
हमेशा इस आशंका से ही देखा कि इनका जितना,
मिस यूज हो रहा है समाज के लिये नहीं उनके लिये
जो इन्हें मानते है, ये उनका कोई भला नहीं करते
वो अपने भ्रम को छुपाये रखने के लिये इन्हें यहाँ वहां,
जगह कब्जियाकर अपना साम्राज्य स्थापित किए हुए हैं,
मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघर बनाये हुए है,
पार्कों में, ग्रीन बेल्टों में, सड़कों के बीचो बीच बस्तियों में
आतंक फैलाये हुए इनकी रक्षा के लिए सेवक के रूप में
कोई न कोई भगोड़ा अपरिहार्य अपराधी बैठाए हुए हैं
मुझे तो लगता है कि उसे जिन्होंने इन्हें गढ़ा होगा
उसकी मेहनत का पूरा मेहनताना भी मिला होगा पर
जो इनके चढ़ावे पर पल रहे हैं वे कौन हैं ?    
किस व्यवसाय के तहत रजिस्टर्ड हैं आयकर मोहकमें में
उनकी आय पर कोई टैक्स आदि कटता है क्या ?
तभी तो देवी देवताओं की दुर्दान्तता की ड्योढियां लाँघना
हमको कभी रास नहीं आया ! पर उन सबको क्या मिला?
जो इन्हें मानते है और ये उनका कोई भला नहीं करते।
-डा.लाल रत्नाकर

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