गुरुवार, 5 नवंबर 2015

लडाकू

पता नहीं अब ये पहचानेंगे या नहीं 
तब तो वक़्त था इनके पास जब मैं मिला था
मेरे गढ़े हुये शिला में आकृतियाँ देख 
सुकून तो मिला था।
पर अब ये देश के रक्षा मंत्री हैं
शायद वक़्त न हो कल ये प्रधानमंत्री बनेंगे
क्योंकि यही इनकी कला है जिसकी वजह से
बहुतेरे इनके आगे पीछे घूमते रहते हैं।
एसे ही थोड़े उसी कला की वजह से
इनसे कोई नहीं पूछता कि इनकी कला
बाज़ार की गिरावट से प्रभावित क्यों नहीं होती
जबकि बाज़ार मुँह  फैलाये महँगाई को लिये 
हम सबके लिये दावानल सी खड़ी है।
पर सुना है व्यापारी ही इन्हें गढ़े हैं तभी तो ये
कभी लखनऊ या गाजियाबाद में लड़े हैं।
ये लड़ते रहते है पर इन्हें कोई नहीं कहता 
ये बहुत लड़ाकू हैं।

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