शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

तुम्हारे अहंकार का अंत !

तुम्हारे अहंकार का अंत
एक न एक दिन जरूर होगा !
यह कैसे मान लिया जाय कि
तुम्हारा अहंकार अंतहीन है
अंतहीन अहंकार का अंत भी
तो कहीं न कहीं होगा ?
हमारा अहंकार !
उसका अहंकार !
प्रतिदिन कहीं न कहीं
टकराता है !
अंतहीन अहंकार !
शर्माता नहीं !
बे-शर्म मुस्कुराता है !
अहंकार में !
क्योंकि उसे पता है
तुम्हारे अहंकार का अंत
एक न एक दिन जरूर होगा !

- डॉ.लाल रत्नाकर 

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