बुधवार, 20 दिसंबर 2017

राष्ट्रशत्रु !



तुमने !
जिस तरह का उत्पाती वर्ग गढा है,
अब उसके परिणाम आने लगे हैं !
मानव-पशु कंकाल डराने लगे हैं !
हमारी बहादुर अवाम को ?

जिसने इस त्रासद दौर को नहीं समझा !
किस आशक्ति से तुम्हारा भक्त बना है !
यह तुम भी जानते हो और हम भी ?
जो नहीं जानता उसे तुमसे अगाध भक्ति है !
राष्ट्रशत्रु !

मानवता !
के उत्थान के लिए लड़े जा रहे युद्ध को !
तुमने नहीं छोड़ा है हमने छोड़ दिया है !
तुम्हारे डर से नहीं अपने भीतर के चोर से !
जनता में फैलाये हुए तुम्हारे अफवाह से !

-डॉ.लाल रत्नाकर 



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