सोमवार, 29 जनवरी 2018

पकौड़ा बेचने की राय ?

डॉ.लाल रत्नाकर 

पकौड़ा बेचने की राय ?
कितनी सही है इसपर बहस नहीं करना है।
क्योंकि यह आवाहन है उस व्यक्ति का ?
जिसे छह सौ करोड़ वोट मिले हैं
एक सौ तीस करोड़ आवादी से ?
"प्रधानसेवक" पद के लिए !

हम तो दूध बेचते थे !
अब ज्ञान बेचते हैं रचना के !
क्योंकि अब पढ़ने आने वाले वो लोग ?
जिन्हे पढ़ाने के लिए हमारे वेतन से !
सालभर के वेतन से कम से कम ?
तीन माह का वेतन टैक्स के रूप में ?
काट लिया जाता है ?

पाठ्यक्रम में पकौड़ा जोड़ा जाना है
जिससे डिग्री लेने के बाद ?
पकौड़े बेचने की दुकान खोलने के लिए
तैयार किया जाना है ?
पर खरीदेगा कौन इन पकौड़ों को ?
क्योंकि कारपोरेट के पकौड़े ?
डिब्बा बंद आ गए होंगे।

वैसे तो हम सदियों से
सब्जियां, चूड़ियां, वर्तन और
छोटे मोटे घरेलु सामान बेचते ही रहे हैं
चाट, पकौड़े पर जीवन काटते रहे हैं
आपकी अच्छेदिन की कामना पाले ?
पकौड़े बेचने की राय ने डरा दिया है।
आप ने यहाँ भी कम्पटीशन बढ़ा दिया है ?

चित्र ; डॉ.लाल रत्नाकर 


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