गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

हत्यारे को मत हत्यारा कह।


एक कहानी हम लिखते हैं
चित्र ; डॉ. लाल रत्नाकर 
एक कहानी तू भी लिख।

राजा रानी हम लिखते हैं
असली हत्यारे तो तुम लिख।

आज जमाना ही ऐसा है
हत्यारे को मत हत्यारा कह।

दादागिरी गुंडागर्दी की ऐसी तैसी
मजहब और हिफाजत की भी ।

गलिओं से तो निकल न पाएं
जबकि सत्ता वही चलाएं

देश और दौलत की सरहद तक ।
झूठ फरेब का नाटक करके।

नौजवान को
और किसान को
धोखे का सबक सिखा कर
भारत का सम्मान बढ़ा कर।

उसकी कहानी अब मत लिख
बहुत हो गया जुमला मेरा ?

सबकी जुबानी साहस औ दुस्साहस
करने का माद्दा भी तो आ !

अब तू अपनी सोहरत का
और समय तक तू मत सुन।

-डॉ. लाल रत्नाकर 
(यह कविता उन लड़कियों के नाम समर्पित हैं जो खो जाती हैं हमारे मुल्क के शहंशाहों और आतताइयों के अहंकार और वासना में)

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