गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

सपनों के सौदागर !

चित्र ; डॉ लाल रत्नाकर 

सपनों के सौदागर !
हम सपने बेचते हैं उनके लिए !
जिन्होंने सपने सजोए हुए हैं ।
खुशहाली की और अपने भविष्य के।
मेरे सपने उन पर कारगर होते हैं।
जिन्हें सपने में ही खुश रहने की आदत है।
हम सपने बेचते हैं उनको।
जिन्हें विश्वास है वह जो सपने देखते हैं।
कभी न कभी सच होता होगा।
हम सपने उन्हें नहीं बेचते जो जानते हैं।
सपनों का सच और सपने नहीं देखते।
हम सपने उन्हें भी नहीं बेचते जो ।
संविधान सम्मत विधान मानते हैं।
हम सपने उन्हें बेचते हैं ।
जो मंदिरों में मठों में माथा टेकते हैं।
हम सब को सपने नहीं बेचते।
सपने उन्हें बेचते हैं जो बेरोजगार हैं ।
यह मेरे सपनों की एक नई फेहरिस्त है।
जिसे समझने की जरूरत नहीं है।
इसे केवल सपने की तरह देखिए।
और अपने की तरह वोट दीजिए।
इन सपनों को देखने के लिए ?
हम आपसे कोई पैसा नहीं लेते ?
केवल इतना चाहते हैं कि आप।
समय-समय पर मेरे "मन की बात"
सुनते रहे और अपने सपने गुनते रहे।
सपनों का सौदागर होना भी।
रोजगार देना होता है।
तभी तो आप सपने देख पाते हैं।

- डॉ. लाल रत्नाकर

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