रविवार, 18 फ़रवरी 2018

कुर्सी रही तो बहुत कुछ करेगा ।



हवाओं में तुमने जो खुशबू बिखेरी।
वही अब महकने चमकने लगी है ।
जिसने भी तुम पर भरोसा किया ।
उसी को समेटे लपेटे चपेटे हुए हो ।
कहां पटकनी दे के मारोगे उसको।
खबर उसकी आने की नौबत नहीं है।

चलो साथियों मिलकरके हमसब ।
उससे बचा लें मुलुक और तुमको !
गफलत में मारे गए हो सभी जन !
भक्तों को उस पर भरोसा बहुत है !
पाखंड का जो पुरोधा है बनकर ।
वतन बेचने को निकला है तनकर ?
चमन बेच देगा वतन बेच देगा।
शातिर बहुत है वह धर्म बेच लेगा।

कुर्सी रही तो बहुत कुछ करेगा ।
वादे पे वादे वह तो झूठे ही करेगा।
हवाओं में तुमने जो खुशबू बिखेरी।
वही अब महकने चमकने लगी है ।
वतन लूटने की नियत अब तुम्हारी।
हर एक को अब चुभने लगी है।

-डा.लाल रत्नाकर

कोई टिप्पणी नहीं: