चित्र ; वंदना यादव |
विरासत बचाने की चिंता किसको है ?
इस वक़्त वे रोटियां सेंकने में लगे हैं !
वह जानते हैं की सियासत से ही !
विरासत को कायम रखा जा सकता है !
मगर वे नहीं जानते की उनकी विरासत,
किस तरह की सियासत से कैसे बचेगी !
यहाँ तो साझा विरासत की बात है !
और वहां तो विरासत में सियासत है !
विरासत को संभालने के लिए पहले !
अपनी सियासत को समझना होगा !
संविधान के दुश्मनों की सियासत !
को पहले बहुजनों को समझना होगा !
डॉ.लाल रत्नाकर
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