बुधवार, 29 अगस्त 2018

सियासत !

चित्र  : हर्षिता तिवारी 

मेरे दोस्त ! दुश्मन की तरह आचरण कर लो ?
वक़्त इंतज़ार कर रहा है तुम्हारा वक़्त जाने का !

लगा लो आग नफ़रत की अफ़वाह के ज़रिये !
ज़माना जानता है कि क़ातिल कौन है उसका !

बहाने कितने बना लो अब तुम्हें पहचानता है वह !
तुम्हारी हर चालाकियाँ समझ आने लगी हैं अब !

वतन के दुश्मन तुम हो बताते और को हो तुम !
तुम्हारी आदतें है फ़र्ज़ी चलाते हो अपनी मर्ज़ी तू !

वतन का क़ानून, संविधान सिसकियॉ भर रहा हो जब !
अब और मौक़ा नहीं तुमको तुम्हारा अन्त होना है !

तुम्हारा ज़हर ही तुम्हारा जलजला है! किसे कहते हो क़ातिल ?
बहुत चूसा है हमारा रक्त, भक्तों के भरोसे तुम !

चलो भागो ! तुम्हे हटाने को ही जनता आ रही है अब !

-डॉ.लाल रत्नाकर 


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