शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

उनके नाम !


मेरी फ़रियाद सुनो मेरे हुक्काम !
यै मेरे हाकिम और मेरे सरकार ?
जो मर गये हैं तुम्हारे क़हर से !
उनकी स्मृतियॉ तुम्हें ज़रूर होंगी !

हज़ारों हज़ार कोस दूर भाग गये लोग !
जो तुमसे नफ़रत करते हो बेइंतहा !
किसको तलाश रहे हो पूरी दुनिया में !
उन्हे क्या सचमुच तुम उनसे डरे हुये हो ?

उनकी सुनो जो तुम्हें मानते हैं शहंशाह !
या उनकी जो मानते हैं तुम्हें अपराधी !
या उनकी जिनसे तुम डरे हुये हो बेइंतहा ?
या उनकी जिन्हें तुम बहुत पसन्द हो !

नहीं तुम उनके मलंद हो, स्वामी नहीं ।
जो तुम्हें पूज रहे हैं बाखुदा मानकर !
उनकी रूह तुम्हें कोस रही है दिनरात !
जो तुम्हारी नियत और सच जानते है !

- डॉ.लाल रत्नाकर

(अमेरिका में रह रही लड़की की विडियो से जिसके बूढ़े बाप को 2002 के दंगों में अहमदाबाद में जाफ़री के टुकड़े टुकड़े कर मार डाला गया तत्कालीन सरकार के इशारों पर!)


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