हमारी नीतियॉ ।
राष्ट्र के उपयुक्त हैं या नहीं ?
कैसा राष्ट्र ? किसका राष्ट्र ?
जो मनुस्मृति को संविधान मानता है ?
या जो संविधान को संविधान मानता है ?
या वह जो न संविधान के बारे में
और न मनुस्मृति के बारे मे ?
या दोनों को ही नहीं जानता है ?
उसका राष्ट्र ?
यह भ्रम है जिसे न वह जानता है ?
और न ही जानना चाहता है ।
रोटी कपड़ा और मकान ?
उसकी ज़रूरत नहीं है !
वह कट्टर हिन्दू बनना चाहता है।
उसका राष्ट्र !
उसका राष्ट्र !
-डा.लाल रत्नाकर
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