सोमवार, 25 मार्च 2019

तानाशाह

क्या सचमुच हमने उन्हें
ये अधिकार दे दिया है !
कि तुम मनमानी करो ?
नहीं हमने तुम्हें !
पाँच साल के लिए चुना था?
तुम तो मालिक बन बैठे ?
तुमने तो जाहिल पैदा किए !
भक्त और मूर्ख ?
इन पाँच सालों में ?
तुमने हमें कितना पीछे धकेला है !
अपनी बेवकूफियों से !
यह कहने का मेरा मौलिक हक़ है !
इन पाँच सालों में तुमने ?
यह अधिकार छीन लिया है !
नहीं यह संवैधानिक नहीं है !
यह तानाशाही है!
तुम तानाशाह तो नहीं हो !
अगर तानाशाह नहीं हो तो !
तुम्हारे बारे में !
यह सब क्यों कहा जा रहा है ?
उसके लिए जो हमारे ?
हमारे मुल्क के लिए !
महत्वपूर्ण पाँच साल
बर्बाद कर दिए हैं और
पूंजीपतियों के लिए
आबाद कर दिए हैं !

डॉ. लाल रत्नाकर

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