खाली घट हैं प्यास अधूरी
वादे तेरे हैं मेरी मजबूरी ?
तेरे जुमले तेरी तैयारी।
हर घट है खाली खाली।
वोट नोट का तू व्यापारी।
सारे घट हैं खाली खाली।
कैसा है बगिया का माली,
कहता तो है तू सेवक है,
औ करता है चौकीदारी।
सारे घट हैं खाली खाली।
मरघट तक तू ले जायेगा,
क्या लोकतंत्र की मैयत को।
संविधान इतिहास बनेगा,
साम्राज्यवाद फिर लाएगा।
तेरी तो यैसी ही है तैयारी।
-डा.लाल रत्नाकर
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