बुधवार, 6 मार्च 2019

प्यास अधूरी


खाली घट हैं  प्यास अधूरी
वादे तेरे हैं मेरी मजबूरी ?
तेरे जुमले तेरी तैयारी।
हर घट है खाली खाली।

वोट नोट का तू व्यापारी।
सारे घट हैं खाली खाली।
कैसा है बगिया का माली,
कहता तो है तू सेवक है,
औ करता है चौकीदारी।
सारे घट हैं खाली खाली।

मरघट तक तू ले जायेगा,
क्या लोकतंत्र की मैयत को।
संविधान इतिहास बनेगा,
साम्राज्यवाद फिर लाएगा।
तेरी तो यैसी ही है तैयारी।

-डा.लाल रत्नाकर

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