चोरी ही तो करोगे
क्योंकि ईमानदारी तो तुम्हे
सिखायी ही नहीं गयी है।
अब इसमें तुम्हारा दोष क्या है
क्योंकि जातियों में बांटकर के
मनुस्मृति का विधान।
राज करने की कला सिखाया है।
जो तुम्हें बहुत पसंद आया है।
देश के मुट्ठी भर लोग।
चाहते तो यही है कि
संविधान खत्म हो जाए।
पर जिस दिन संविधान खत्म होगा।
उस दिन तुम्हें तुम्हारे मुल्क में भेज देंगे।
वही लोग जिनके लिए तुम
संविधान खत्म कर रहे हो।
क्योंकि तब तुम्हारी जरूरत नहीं होगी।
क्योंकि अब संविधान नहीं होगा।
मनुस्मृति का विधान।
तुम पर भी लागू होगा और तुम।
बक्से नहीं जाओगे क्योंकि।
कभी-कभी अपने को पिछड़ा कहते हो।
वह विधान इजाजत नहीं देता
पिछड़ों को राजा बनने का।
डॉ लाल रत्नाकर
क्योंकि ईमानदारी तो तुम्हे
सिखायी ही नहीं गयी है।
अब इसमें तुम्हारा दोष क्या है
क्योंकि जातियों में बांटकर के
मनुस्मृति का विधान।
राज करने की कला सिखाया है।
जो तुम्हें बहुत पसंद आया है।
देश के मुट्ठी भर लोग।
चाहते तो यही है कि
संविधान खत्म हो जाए।
पर जिस दिन संविधान खत्म होगा।
उस दिन तुम्हें तुम्हारे मुल्क में भेज देंगे।
वही लोग जिनके लिए तुम
संविधान खत्म कर रहे हो।
क्योंकि तब तुम्हारी जरूरत नहीं होगी।
क्योंकि अब संविधान नहीं होगा।
मनुस्मृति का विधान।
तुम पर भी लागू होगा और तुम।
बक्से नहीं जाओगे क्योंकि।
कभी-कभी अपने को पिछड़ा कहते हो।
वह विधान इजाजत नहीं देता
पिछड़ों को राजा बनने का।
डॉ लाल रत्नाकर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें