बहादुरी की बात करता है।
धूर्तता की चासनी में लपेट कर।
चासनी चासनी की तरह भी नहीं।
यह चासनी उम्मीद की होती है।
शायद सच मे तब्दील हो जाये।
झूठे वादे नकली इरादे लेकर ।
परोस रहा है लफ्फाजी किन्हें।
कौन हैं वह जिन्हें सुना रहा है।
लम्बे लम्बे फलसफे अपने ।
गप्पवाजी और विदेश भ्रमण के ।
ये यहॉ के भक्त हैं और वहॉ की कथा,
में रस ढूढ रहे हैं गुरूदेव की वाणी में।
रस पी पी कर खुद गुरूदेव सुना रहे हैं।
पुनि पुनि दुहरा रहे हैं गुरूदेव कथा,
देहाती सी और संगी साथी सरीखे से।
-डा लाल रत्नाकर
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