शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

हमारे सब्र का


हमारे सब्र का
मजमून बहुत निराला है
हमने संकट में जान डाला है।
कौन कहता है
धुंआ नहीं दिखता।
आग ने हमको
बहुत उबाला है।
छींटाकशी के पानी से
आग बुझाने वालों
कभी जल करके देखो
धुंआ निकलता है या नहीं।
हमारे सब्र का
मजमून बहुत निराला है।


डॉ लाल रत्नाकर 

कोई टिप्पणी नहीं: