सोमवार, 20 जुलाई 2020

अज्ञान के आगे !

ऐसा क्या किया हमने ।
जीवन अधर में क्यों गया?
क्या कोई अभिशाप था ।
या किसी का शाप था।
यह हमारे नीति का परिणाम था।
है अभी भी आपदा घेरे हुए ?
दुष्वारियां अब भी हैं कम नहीं।
हैं लाचारिया घेरे हुए।
यदि बच सके तो आस है ।
और कोई रास्ता दिखता नहीं ।
सदियों पुराना योग रोग और निदान।
है विकास का आधार अब।
विज्ञान का विचार अब प्रहसन हुआ।
अज्ञान का प्रचार ही है हो रहा।
आज कौन है जो गहरे सो रहा।
ये विषाणु जहर क्यों बो रहा।
क्या कोई साजिश है यह।
जिसका निदान ना हो रहा।
अज्ञान के आगे !
हमारा ज्ञान है क्यों सो रहा!
डॉ लाल रत्नाकर

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