सोमवार, 27 जुलाई 2020

जीवन की उम्मीदों में

जीवन की उम्मीदों में
आदमी उल्टा हो रहा है
सीधा होने के लिए इंतजार है
ऐसी परिस्थितियों का जब
जीवन सामान्य हो जाएगा।
सामान्य जीवन के लिए।
असामान्य होना कैसी शर्त है।
सचमुच इस समय शर्त ही शर्त है।
सशर्त जिंदगी के साथ।
असामान्य होता समाज।
खुशहाल होने का भय।
नियंता कौन है ? अज्ञात।
सत्ता का कैसा है स्वरूप।
अज्ञात का सहारा ज्ञात है बेचारा।
जीवन की उम्मीदों में
आदमी उल्टा हो रहा है
सीधा होने के लिए इंतजार है।

डॉ. लाल रत्नाकर

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