शनिवार, 19 सितंबर 2020

अमित बाबू - कौन है वह ?

कौन है ?
षड्यंत्र कर्ता ?
अमित बाबू ?
कौन है वह ?

(दिल्ली में हुए दंगे देश को आग में झोंकने की साजिश थे जो ट्रम्प के भारत आने के साथ ही साथ ही हुए २०फरवरी 2020 से यह लगातार कई दिनों तक जारी रहे जो हालिया सरकारी कोशिशों से इसके पोल खोलते नज़र आते हैं केंद्र और प्रदेश की सरकारों पर ये काले धब्बे दिल्ली दंगों की साजिश हमेशा लोगों को याद रहेंगे)
प्रकृति सब का हिसाब लेती है.
षड्यंत्र सत्ता और सरूख देती है.
महामारी और लाचारी
जीवन में संदेश लेकर आती है.
जीवन की दुश्वारी नजर नहीं आती
अहंकार जब सवार होता है
राजा की प्रजा के प्रति
शासक की व्यवस्था के प्रति
देशभक्तों की देश के प्रति
क्या कोई जिम्मेदारी भी होती है
प्रकृति सब का हिसाब लेती है
क्रांति क्रांति होती है
ताकत से नहीं वह तो
जनता के उद्गार से होती है
जब जनता लाचार होती है
झूठ और जुमले बाजार तो लगा देते हैं
खरीददार चौकीदार नहीं होते
चौकीदार तो रक्षक होते हैं
जो सब कुछ बेच दे
वह वफादार नहीं होते.
वह सच्चे और अच्छे चौकीदार नहीं होते
सियासत करने वालों
क्या सचमुच !
सियासत में ईमानदार नहीं होते.
-डॉ लाल रत्नाकर 



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