लोग चले जाते हैं कैसे कैसे।
यह चले जाने का चलन भी
अनिश्चित है अज्ञात है।
सपने सपने रह जाते हैं।
दोस्तों के साथ किए गए वादे
पूरे नहीं हो पाते।
टूट जाते हैं इरादे
वक्त के साथ दोस्त
पूरा का पूरा परिवार
उजड़ जाता है।
सारे सपने अधूरे रह जाते हैं।
निरंकुश काल के गाल में
कौन कब समा जाता है
इसकी खोज तो
विज्ञान निरंतर कर रहा है।
पर जीवन के साथ
सुनिश्चित है व्यक्ति का
चला जाना।
इस वर्ष तो
अजीबोगरीब हो गया है।
जैसे अभी भी कोई
अनजान विषाणु
पीछा कर रहा है।
बेवक्त।
वक्त ऐसा आ जाता है।
-डॉ लाल रत्नाकर
अनिश्चित है अज्ञात है।
सपने सपने रह जाते हैं।
दोस्तों के साथ किए गए वादे
पूरे नहीं हो पाते।
टूट जाते हैं इरादे
वक्त के साथ दोस्त
पूरा का पूरा परिवार
उजड़ जाता है।
सारे सपने अधूरे रह जाते हैं।
निरंकुश काल के गाल में
कौन कब समा जाता है
इसकी खोज तो
विज्ञान निरंतर कर रहा है।
पर जीवन के साथ
सुनिश्चित है व्यक्ति का
चला जाना।
इस वर्ष तो
अजीबोगरीब हो गया है।
जैसे अभी भी कोई
अनजान विषाणु
पीछा कर रहा है।
बेवक्त।
वक्त ऐसा आ जाता है।
-डॉ लाल रत्नाकर
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