रविवार, 24 अक्टूबर 2021

एक है देश

 


एक है देश
अनेकानेक भेष
समान नहीं
सुराज कैसा
कानून है भी कहीं
किससे पूछूं।
टैक्स देते हो
सुविधा भी लेते हो
विचार करो।
वोट देते हो
कभी विचार किया
किसको मिला।
रोते रहोगे
हंसने फसने में
अंतर किया।
- डा लाल रत्नाकर

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