रविवार, 24 अक्टूबर 2021

जिस तरह की कविता

 


जिस तरह की कविता
पढ़ने के आप आदी हो
उस तरह हमें लिखने की
आदत नहीं है;
जैसे :
एक नजर देखा तो
पाया की तुम सदा सदा के लिए
मेरे/मेरी हो गए।
रात दिन तुम्हारे बिना
चैन नहीं पड़ता .........
आदि आदि......
क्योंकि इस समय हिंदुत्व
हिलोरें मार रहा है
वह सब हिंदू हो गए हैं
जिन्हें हिंदुओं ने जानवर सी
जिंदगी दी है।
हिंदू होने के नाते मंदिरों में
घुसना वर्जित किया है।
उठना बैठना साथ छूना
तक मना किया है।
कलावे बांधकर चिन्हित किया है।
तिलक भी लगा दिया है।
पर अब पैर से नहीं
ब्रश से लगा दिया है।
सुधर जाओ तुम हिंदू नहीं हो
अयोध्या की किस कमेटी में
तुम्हारा तुम्हारे हिंदू नेता का नाम है।
जरा वहां आरक्षण मांगों।
तमिलनाडु की तरह।
यहां कोई स्टालिन है क्या ?
पहले स्टालिन पैदा करो
फिर न्याय और अधिकारिता
की बात करो मेरे नकली भाई।
जमीर बेच दिया है आज भी।
संविधान बचा लो ?
वही तुम्हारा धर्म है।
डा लाल रत्नाकर

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