मानसिक दिवालियापन निकालिए
और सामने वाले को पहचानिए।
सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की मार
बहुत खतरनाक होती है।
सदियां गुजर जाती है ।
समझ में नहीं आता मीठा अत्याचार।
परंपराओं और संबंधों की मार।
आमंत्रित करता है युद्ध को ।
आरंभ हो जाता है एक महाभारत ।
रुक जाता है विकास और संतृप्त।
नहीं होती है भूख और प्यास।
संस्कृति बनाने की और
साम्राज्य के चक्कर में फंस जाने की।
यह कर्मचारियों से चल रहा है।
खूबसूरत विशालकाय देश?
यह कैसा समर है सच में,
महाभारत समझ नहीं आ रहा है।
डा लाल रत्नाकर
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