यह बाजार है।
यहां बिकने के लिए
सामान चाहिए,
उपदेश दीजिए
पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
उसे अपना अतीत पता है
भविष्य की तलाश है
सदियों से सेवा के नाम पर
मेवा खाने की यही तासीर है
आपने सुना होगा
भारतीय राजनीति में बड़े-बड़े नाम के।
बड़े बड़े बाप के और मां के बेटे
अपने जमाने में राजनीति में
राजतंत्र की तरह या लोकतंत्र के लिए।
बहुत प्रयोग कर रहे थे।
यह वही पार्टियां हैं।
जिसमें काम करने का
कोई मतलब नहीं होता।
मतलब होता है तो
आपके परिवार जाति वर्ण धर्म
आदि इत्यादि का।
अतः देखते जाइए
देखते जाइए।
थोड़े दिनों में आपको यह
नजारा ऐसा दिखेगा
जिसमें हजारों नौजवान
शहीद हो चुके होंगे
कोई जश्न में, कोई हुस्न में
कोई बोल में कोई चाल में
भारतीय राजनीति का
क्या यही चलन है।
जो जो सत्ता में आया
वह डर क्यों रहा है ।
आवाज नहीं निकल रही है
अत्याचार हो रहा है
अपने देश के कानून से!
मगर दूसरी तरफ बहुत
नफासत से चल रहा है।
अखंड पाखंड अन्याय
अत्याचार और दुराचार
गाए जा रहे हैं जुमले !
हत्यारे को साथ लेकर।
सुनाए जा रहे हैं सुरक्षा के।
प्रतिमान और बताए जा रहे हैं
सुरक्षित है संविधान
इस प्रदेश में और इस देश में
हत्या हो रही है संविधान की
क्या यही चरितार्थ हो रहा है।
नाचे गाये तोड़े तान,
दुनिया रखे उसी का मान।
भक्ति भाव से निकलिए।
शक्ति का आकलन कीजिए।
यह उपदेश नहीं है।
सत्य का समावेश यहीं है।
सत्य पर असत्य की विजय का
या असत्य पर सत्य की विजय का।
मनाने वाले हैं आप त्यौहार।
त्यौहार भी व्यापार है।
जरा सावधानी से।
बचा के रखियेगा आगे का भविष्य।
डॉ.लाल रत्नाकर
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