मंगलवार, 9 नवंबर 2021

उसका दोष क्या है

 



मेरी
नहीं मेरी !
रचनाएँ पढ़ जाओ
और फिर उसे हेराफेरी से
छपवाकर लेखक बन जाओ ?
जैसे शोधार्थी, शोध नहीं करता !
उतार लेता है।
सारी सामग्री कहॉ कहॉ से।
उपाधि पा जाता है
जी हॉ !
उसका दोष क्या है
दोषी कौन है छुपाते क्यों हैं !
यही परम्परा है बताते क्यों हैं।
वे क्या करते परम्परा मे हैं चलते।
ऐसे ऐसे विषयों पर शोध कराते !
वह ख़ुद नही समझ पाते उसे क्या ?
रास्ता आसान था शिष्वत महान था !
जिसका ज़बानी बयान था ।
परम्परा का आख्यान था।
शिक्षा का व्यापारी महान था।
जग में उसी का गुणगान था समझे।
यदि समझ में नहीं आया तो
नई शिक्षा नीति को पढ़ डालो
सरकार भी यही चाहती है
कि तुम मानसिक रूप से।
नकलची और गुलाम बने रहो।
विज्ञान से दूर अज्ञान से पटे रहो।
मेरी
नहीं मेरी !
रचनाएँ पढ़ जाओ
और फिर उसे हेराफेरी से
छपवाकर लेखक बन जाओ ?
डॉ लाल रत्नाकर

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