बुधवार, 5 जनवरी 2022

जब जनता के सामने



जब जनता के सामने
लच्छेदार लच्छेदार जुमले
सुना सुना कर श्रीमान जी
आए थे देश को रामराज्य देने
किसको पता था कि झोले में
नफरत का जहर लेकर आए हैं
कहा करते थे कि जब मुझसे
कोई गलती हो जाए तो।
चौराहे पर खड़ा करके मुझको
जो वह कहते थे वह कर देना।
मेरा क्या मैं तो फकीर हूं
झोला उठाऊंगा और चल दूंगा।
पता नहीं इनकी फकीरी पर
या आज जनता की गरीबी पर
किस पर विश्वास किया जाए
वह कहते हैं कि हम देश को
विकास की ओर ले जा रहे हैं
जनता त्राहिमाम कर रही है।
महंगाई की मार से।
बेरोजगारी और लाचारी के व्यापार से।
नफरत और धर्मांधता की आग से।
गांधी को गालियां और गोडसे के सम्मान से।
धर्म संसद में अधर्म परोसा जा रहा है।
सरकारे मौन हैं और बड़बोले चुप।
क्या इशारे हैं।
देश आतंकवादियों के कब्जे में है
और आतंकवादी ताज संभाले हैं।
आम आदमी के मुंह के निवाले
खास लोगों के झोलों में भरे हैं।
डॉ. लाल रत्नाकर

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