रविवार, 9 जनवरी 2022

हमें विश्वास नहीं होता

हमें विश्वास नहीं होता
तुम्हारे वादे में इरादे में।
हमें एहसास नहीं होता
क्योंकि विश्वास नहीं होता।
हमारे आचरण अच्छे हैं
कि तुम्हारे आचरण अच्छे हैं
यह फैसला कौन करेगा।
तुम्हारे धर्म में और हमारे धर्म में
कितना फर्क है।
यह कौन तय करेगा।
भयभीत करने का यंत्र
तुम्हारे धर्म में होगा
हमारे धर्म में श्रम और कर्तव्य
महत्वपूर्ण है।
जब जब हमें धर्म का
वाहक बनाते हो।
हम भी धार्मिक हो जाते हैं
मगर धार्मिक होने पर भी।
हमारा कार्य तुम्हारे लिए
प्रतीक के रूप में ही है।
धर्म के लिए हमारा इस्तेमाल
कितना जरूरी है।
कितना जायज है।
मेरे नाम पर जो भी वसूलते हो
उसको निगल जाते हो।
हमें तो घास भूसे पर ही
पालते हो।
माल तुम खा जाते हो।
हमारा दूध भी पी जाते हो।
हमारे बच्चों को।
प्रकृति प्रदत्त संसाधन में भी।
हाथ नहीं लगाने देते हो।
हमें विश्वास नहीं होता।
एहसास नहीं होता।
कि तुम्हारा धर्म इतना क्रूर है।
-डॉ लाल रत्नाकर


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