जातिवाद चरम पर
प्रदेश था भरम पर
महामारी का प्रलय
सबसे ज्यादा चेला है
धर्म का जो चोला है
झूठ कितना बोला है।
दबंगई के बल पर
रात दिन पल पल
सत्ता का ड्रामा था,
खौफ बहुत ज्यादा था
ठोक दो जिस का नारा था
पूरा प्रदेश विचारा था।
मुकदमे वापस करने का
मौका बहुत अच्छा था।
सत्ता के शीर्ष पर,
ऐसा शासक बैठा था।
जनता के हाथ में
न्याय का तराजू है
कटा हुआ बाजू है
भूख मारने वाले का
दान करने वाला साधु है।
कल का जिसे पता नहीं
बांट रहा खैराती है।
सारा प्रदेश भिखमंगा कर
मठ में किसका साथी है
वह तुम्हें बुला रहा है
वहीं तुम्हारा ठिकाना है
बस वही जाना है
पूरा प्रदेश चिल्ला रहा है।
-डॉ लाल रत्नाकर
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