यह नफरत !
किसके लिए है!
क्या विचार किया ?
यदि नहीं तो !
अकेले आपके
विचारों को समर्पित
समस्त मानव जाति
के संहारक !
बन किसे किसे
ठग रहे हो।
अभी तो उनको
टार्गेट कर रहे हैं ?
जो हिंदू नहीं है !
फिर उनको करिएगा
जो सवर्ण हिंदू नहीं है!
असली निशाना तो
उन पर है :
जिन्हें अब हिंदू बना रहे हैं
जानवरों की तरह
भीड़ बनाकर !
उनको दबाने के लिए।
इनको दबाने में
वैसी जरूरत नहीं है।
वह तो सदियों से
गुलाम बन के रह रहे हैं।
अज्ञानता के तिमिर में
अब भी पल रहे हैं।
यह महारोग है या
महावायरस है।
जो दुनिया के
खतरनाक वायरस से
खतरनाक है।
हिंदुत्वा, हिंदुत्ववादियों का।
जानवर और खूंखारजानवर
हिंदू और हिंदुत्वा।
इनके कैसे कैसे रूप है।
कुत्ते की तरह
पालतू और गली के।
किसके और कितने
स्वामी भक्त हैं।
बेचारा यह कुत्ता।
बेवजह बदनाम हो रहा है।
वह स्वामीभक्त तो है।
जागो भौंको काटो
और दौड़ा लो।
वह लूट रहा है।
बहुरूपिया बनकर।
- डॉ. लाल रत्नाकर
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