छोड़ो ! राजपाट की बात
लगो अपने काम के साथ
जिन पर तुम्हें भरोसा था
खुद ना उन्हें भरोसा था।
मालदार हो गए हैं वे सब।
जो भूखे थे सदियों से।
काम करो सब !
काम करो तन मन से,
भक्ति भाव में
आशक्ति भाव में
दान करो ! सब दान करो।
श्रम धन तन मन सबका
न विकास का अपमान करो
पाखाना भी मुफ्ती खाना भी
तो तुम्हें मिला है।
धैर्य धरो नफरत का
राज मिला है।
धुएं से भी मुक्ति मिली है
कीमत का ना भान करो।
करो मजूरी हाड़ तोड़.
नीचे देखो - मत गड्ढे को
आसमान का ना ध्यान करो।
नफरत की आग में
चलते रहो शान से।
-डॉ लाल रत्नाकर
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