मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

नानी याद आए।

 बना लो जाल ऐसा
जो सच को छुपा ले
अपना अस्तित्व बचा ले
दूसरे का मिटा दें।
नफरत का आंगन बनाकर
उसके मध्य भक्तों से
भक्ति का भजन कराकर
ऐसा माहौल बनाओ?
ऐसा जाल फैलाओ
जिसमें सब फंस जाएं।
खुशी-खुशी तुम्हारा झूठ 
छुप जाए।
हेरा फेरी चलती रहे
जनता भटकती रहे।
ऐसा राज बनाओ।
हर गद्दी पर !
ऐसा शासक बैठाओ.
सब को नशा पिलाकर
भक्त बना कर।
जुमले सुना कर।
मन बहला कर।
यदि बात ना बने तो 
धमका कर।
ऐसा राज चलाएं।
बड़े-बड़े बदमाशों को 
नानी याद आए।

- डॉ लाल रत्नाकर



कोई टिप्पणी नहीं: