मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

आप सदा हमारी स्मृतियों में रहोगे।
















आप सदा हमारी स्मृतियों में रहोगे।
क्योंकि यह सहज नहीं है।
आपको भूल जाना।
भूलते तो वह भी नहीं है,
जो नफरत क्रूर और दम्भी होते हैं।
आपने इन सारे दुर्गुणों को
अपने करीब नहीं आने दिया था।
आपके करीब प्रेम सद्भाव स्नेह
सम्मान मान आदर का खजाना था।
जो भी आसपास से गुजरता
वह उस खजाने से अपने हिसाब से
जितना चाहता था उतना
पा जाता था और आप मुस्कुराते हुए
उसे उसके हिसाब से
भरपूर मोहब्बत स्नेह और आदर
ऐसे परोस देते थे जैसे
आप की प्रकृति में यह सब कुछ
समाहित है सूर्य की तरह
बादलों की तरह
नदियों की तरह
पहाड़ों की तरह
प्रकृति के हर उपादानों की तरह।
नमन आपको।
आपकी प्रकृति को।
आपके उन तमाम अपनों को
जिनमें आप के गुण
कूट-कूट कर भरे हुए हैं।

- रत्नाकर
(डा लाल रत्नाकर)

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