मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

तुम्हारा धर्म क्या है?

 हम खोज क्या रहे हैं ? 
उनकी वजह से ज्यादा ?
दौलत सोहरत और आजादी।
कितनी मिली ?
इसका आकलन करने की फुर्सत कहां है।
अभी तो हमलोग लूट में लगे हैं।
जीव जंतु पशु प्राणी, धरती।
राजकुमार बन करके ध्वस्त कर रहे हैं।
परंपराओं से रची हुई संस्कृति।
सचमुच वक्त कहां है।
दर्शन और संस्कृति के विमर्श का।
अपसंस्कृति और अनैतिकता।
से जब अवसर मिले तब तो।
अज्ञानी बनाने की साजिश 
ऐसे ही थोड़े रची जा रही है।
संताने तुम्हारी और हमारी 
अधिकारीणी हैं दस्तावेजों की।
केवल लूट और अन्याय की।
या लूट के खिलाफ खड़े होने की।
किस को गुमराह कर रहे हो।
जो तुम्हें गुमराह कर रहा है।
वह तुम्हारी नियत जानता है।
तुम्हारे घर के अंदर घुसा हुआ है।
गाय का अर्थ समझाता है।
और दुनिया भर में 
गौ मांस का व्यापार चलवाता है।
तुमसे नारा लगवाता है।
हिंदू बनने का आवाहन करता है।
क्या करोगे हिंदू बनकर।
तुम्हें तो मंदिरों में घुसने भी नहीं देता।
मंदिरों में केवल तुम्हारा प्रसाद चढ़वाता है।
तुमने किताबें नहीं खरीदी।
तुमने खरीदा है एंड्राइड मोबाइल।
जिस पर तुम सीख रहे हो।
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ऐसे पाठ्यक्रम।
जो तुम्हें नफरत सिखाता है।
धर्म के नाम पर दूसरे धर्म को 
जलील करता करवाता है।
तुम्हें पता है तुम्हारा धर्म क्या है?
पेरिआर ने लिखा है पढ़ लो।
बुद्ध ने रास्ता दिखाया था।
बाबासाहेब आंबेडकर ने तभी तो
आजिज आकर बौद्ध धर्म अपनाया था।
तुम्हें हिंदू बनाया जा रहा है।
बाबा साहब को भी अब !
भगवा पहनाया जा रहा है!
अब पूछ रहे हैं हम 
क्या खोज रहे हैं हम।
भगत सिंह का नाम सुना है।
कभी उनके बारे में गुना है।
यदि नहीं तो तुम्हें जाहिल बनाया जा रहा है।
क्रांतिकारी नहीं दुराचारी बनाया जा रहा है।

- डॉ लाल रत्नाकर



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