लाज और लिहाज है,
या गुस्से में रिवाज है।
बहु! क्या मिजाज है।
बताईए जरा बताईए।
ये किसका समाज है।
और कैसा रिवाज़ है।
मुंह छुपा के देख रही
आपके समाज को।
भीतर के राज काज को।
ऐसे लोक लाज को।
समाज के मिजाज को।
तन्तुओं के मध्य से।
सुबास और कुबास से।
नैन के मिजाज से।
समय के आगाज से।
यह कैसा आगाज है।
कैसा ये समाज है।
या गुस्से में रिवाज है।
बहु! क्या मिजाज है।
बताईए जरा बताईए।
ये किसका समाज है।
और कैसा रिवाज़ है।
मुंह छुपा के देख रही
आपके समाज को।
भीतर के राज काज को।
ऐसे लोक लाज को।
समाज के मिजाज को।
तन्तुओं के मध्य से।
सुबास और कुबास से।
नैन के मिजाज से।
समय के आगाज से।
यह कैसा आगाज है।
कैसा ये समाज है।
डॉ लाल रत्नाकर
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