गुरुवार, 2 जून 2022

पाखंड का गोबर दिमाग में



पूरी दुनिया में 
हाहाकार मचा है
सत्ता में बैठे लोगों का
जनसंहार का व्यापार
जोरों पर है।
एक देश का दूसरे देश पर
हमला होना कितना जायज है
दूसरे देश को हथिया लेना
ताकत से किसका सपना है।
हम सोचते क्यों नहीं?
इसलिए क्योंकि ?
हमारे भीतर भी उसी तरह का
एक अहंकार खड़ा है।
जो छोटा है वह उसी धूर्तता से
कितना बड़ा है।
धर्म और अधर्म की दीवारें
इंसान व इंसानियत की नियत से
सोचने वालों के लिए?
सत्ता की धुरी पर अधूरी है
यह जरूरी है या मजबूरी है।
सपने दिखाने और विकास लाने
के लिए जरूरी है।
वैज्ञानिक सोच और अनुसंधान।
पाखंड का गोबर दिमाग में
भरना क्या जरूरी है।
यह विकास है या विनाश
इस पर चर्चा जरूरी है।
कौन करेगा जिसके दिमाग में
खड़ी है अखंड पाखंड की मीनार
और कलावे की दीवार।

-डॉ लाल रत्नाकर

कोई टिप्पणी नहीं: