आइए ले चलते हैं
आपको उस मुकाम पर
जहां जिंदगी के सपने
बुनने का सुहावना अवसर
बेवजह निकलता जा रहा है
उन निकम्मों के कर्तव्यों से।
जो आजमा रहे हैं वह रास्ते,
जो अन्याय और अत्याचार
की ओर ले जाता है।
और मूर्खता का इतिहास
लिख रहे होता है।
उस इतिहास के खिलाफ।
जिसके वह कर्ता-धर्ता होता है।
यह कैसा वक्त है।
जहां जिंदगी के लिए
वक्त नहीं है,मृत्यु का उत्सव
मना रहे हैं।
अपने इर्द-गिर्द नहीं सुदूर कहीं,
असभ्य दुनिया बसा रहे हैं।
रात दिन भाग रहे हैं लोहे के,
यंत्र पर बैठकर।
उनको लगता है कि
किसी नई दुनिया का,
चक्कर लगा रहे हैं।
जहां जिंदगी के सपने
बुनने का सुहावना अवसर
बेवजह निकलता जा रहा है
उन निकम्मों के कर्तव्यों से।
जो आजमा रहे हैं वह रास्ते,
जो अन्याय और अत्याचार
की ओर ले जाता है।
और मूर्खता का इतिहास
लिख रहे होता है।
उस इतिहास के खिलाफ।
जिसके वह कर्ता-धर्ता होता है।
यह कैसा वक्त है।
जहां जिंदगी के लिए
वक्त नहीं है,मृत्यु का उत्सव
मना रहे हैं।
अपने इर्द-गिर्द नहीं सुदूर कहीं,
असभ्य दुनिया बसा रहे हैं।
रात दिन भाग रहे हैं लोहे के,
यंत्र पर बैठकर।
उनको लगता है कि
किसी नई दुनिया का,
चक्कर लगा रहे हैं।
डॉ.लाल रत्नाकर
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