बुधवार, 20 जुलाई 2022

आइए ले चलते हैं



आइए ले चलते हैं 
आपको उस मुकाम पर 
जहां जिंदगी के सपने 
बुनने का सुहावना अवसर
बेवजह निकलता जा रहा है
उन निकम्मों के कर्तव्यों से।
जो आजमा रहे हैं वह रास्ते,
जो अन्याय और अत्याचार 
की ओर ले जाता है।
और मूर्खता का इतिहास 
लिख रहे होता है।
उस इतिहास के खिलाफ।
जिसके वह कर्ता-धर्ता होता है।
यह कैसा वक्त है।
जहां जिंदगी के लिए 
वक्त नहीं है,मृत्यु का उत्सव 
मना रहे हैं।
अपने इर्द-गिर्द नहीं सुदूर कहीं,
असभ्य दुनिया बसा रहे हैं।
रात दिन भाग रहे हैं लोहे के,
यंत्र पर बैठकर।
उनको लगता है कि 
किसी नई दुनिया का,
चक्कर लगा रहे हैं।

डॉ.लाल रत्नाकर

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