शनिवार, 20 अगस्त 2022

सहज ज़ो असहज है,

 


सहज ज़ो असहज है,
हमारे आसपास वो हैं!
कभी कभी दिखते हैं ,
अपनी पहचान छुपा के
उनकी तरह कभी क़भी
वह भी ज़ो हमें जानते है
वह भी और वह भी दोऩो
उनका हिसाब क्या है।
उनका जवाब क्या है।
सवाल विचारणीय है।
जब विचारों पर सवाल है,
ख्याल ही बदहाल है।
विचारों का क्या हाल है।
यही तो सवाल है।
इसीलिए असहज हैं।
- डॉ लाल रत्नाकर

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