अनवरत संगीत का एहसास हो।
मानसिक पीड़ा के बदले आस हो विश्वास हो,
शत्रु भी जब साथ हो तो उसका भी एहसास हो।
परिहास का सत्यानाश हो।
भक्त हो भक्ति करें धूर्तता अभिशाप हो।
पाप का जो बाप है यहीं तो आपका विश्वास है।
विश्वास का आघात ही, जग के लिए विश्वासघात है।
संत का क्या अंत कभी होता नहीं।
फिर झूठ का विश्वास उनके रगो में बहता हुआ।
अंत का अभिशाप क्यों होता नहीं।
अनवरत संगीत का एहसास हो।
आस्था में अंधता का ना विश्वास हो।
अनवरत संगीत का एहसास हो।
डॉ लाल रत्नाकर
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