
अधर्मी के भेष में
धर्म का देश बनाने
सिकंदर के समान कोई
जोधा जब आ जाए।
हिटलर की हरकतों से
दुनिया का हर देश
सहम जाए डर जाए।
नागरिक का नाश करता हुआ
धनिको को सारी संपदा
दान में दे जाए?
जनता को बरगलाये
भरमाए और खोखला कर जाए।
फिर भी अंग प्रत्यंग
अंधों के सामने कानों के बहरे
अज्ञान के गहरे।
कुएं में जनता को धकेल कर
ऊपर से आहुति में धर्म डालकर
उसको सुला जाए।
फिर ऐसी जनता को कौन जगाए।
अधर्मी के भेष में
धर्म का देश बनाने
सिकंदर के समान कोई
जोधा जब आ जाए।
सिकंदर के समान कोई
जोधा जब आ जाए।
हिटलर की हरकतों से
दुनिया का हर देश
सहम जाए डर जाए।
नागरिक का नाश करता हुआ
धनिको को सारी संपदा
दान में दे जाए?
जनता को बरगलाये
भरमाए और खोखला कर जाए।
फिर भी अंग प्रत्यंग
अंधों के सामने कानों के बहरे
अज्ञान के गहरे।
कुएं में जनता को धकेल कर
ऊपर से आहुति में धर्म डालकर
उसको सुला जाए।
फिर ऐसी जनता को कौन जगाए।
अधर्मी के भेष में
धर्म का देश बनाने
सिकंदर के समान कोई
जोधा जब आ जाए।
डॉ लाल रत्नाकर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें