पहले तो वह चुन चुन कर मारा,
मुल्ले और कठमुल्लों को,
फिर दलितों और पिछड़ों को।
बुद्धिजीवियों, विरोधियों को
उसने इतना संत्रास दिया,
किसी को जेल, नजरबंद कर
वह इतना अत्याचार किया।
दुश्मन से भी ज्यादा उसने,
अपनों का अपमान किया।
आज पवित्र भूमि में भी यह,
जिसको कहता यह देवभूमि।
वहां राक्षस जैसा काम किया
दुराचार भी हत्या की हद तक
हत्या का ही व्यापार किया,
नारे सुंदर - सुंदर चुनकर वह
जनता को जो भाये सुनाकर,
लूट लिया है सबको इसने
ऐसी ऐसी धता बताकर।
सिखा गया है उसने सबको
वही करिश्मा करते युवा,
जैसा यह व्यापार किया।
ऐसे काम करा कर उनसे
नैतिकता का नाश किया।
राजनीति का संरक्षण दे।
बेटी भी नहीं बचा पाया,
अब कौन कहे उसको,
खुद ही से दुराचार किया।
वह जिसकी भी बेटी थी,
शिक्षा उसको यही मिली।
यह स्वांग रचाकर !
मार रहा है नैतिकता को।
जाति जरा देखो उस बेटी की।
जिसका तुमने संहार किया।
- डॉ लाल रत्नाकर
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